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गणेश चतुर्थी विशेष … कुंआरी कन्याओ की मनचाहे वर की मनोकामना पूरी करते पोहरी किले मे विराजे इच्छापूर्ण गणेशजी

सिंधिया स्टेट की जागीरदारनी बाला बाई सीतोले ने 1737 में इस मंदिर का निर्माण कराया था।

जन दर्शन न्यूज. .शिवपुरी.. देश-विदेश में भगवान गणेश की कई प्राचीन प्रतिमाएं विराजमान हैं परंतु देश में कुछ ऐसे खास मंदिर हैं जिनकी प्रसिद्धि और प्रताप दूर-दूर तक फैला और जहां लाखों की संख्यां में भक्त एकत्रित होते हैं। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले की पोहरी तहसील के किले में बसा प्राचीन गणेश मंदिर जो लगभग 200 वर्ष प्राचीन है इस मंदिर को इच्छापूर्ण गणेशजी के नाम से जाना जाता है।

पोहरी किला सिंधिया स्टेट के अंतर्गत आता था .सिंधिया स्टेट की जागीरदारनी बाला बाई सीतोले ने 1737 में इस मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर में जो दिव्य प्रतिमा स्थापित है वह पुणे महाराष्ट्र से स्वयं बाला भाई साहिबा लेकर आई थी

ऐसी मान्यता हैं कि अगर कुंवारी लड़कियां मनचाहे वर की मनोकामना लेकर एक श्रीफल ( नारियल ) गणेश जी को अर्पित करती हैं तो उनका यह इच्छापूर्ति अवश्य होती हैं।

कुंवारी युवतियां भी यहां अपने मनचाहे वर की कामना पूर्ति के लिए आती हैं। कहते हैं कि बप्‍पा इस मंदिर में आने वाली हर कन्‍या को उसका मनचाहा वर देते हैं। लेकिन इसकी एक परंपरा है, उसके मुताब‍क ही युवतियां बप्‍पा के सामने खड़े होकर अपने मनचाहे वर के गुणों का बखान करती हैं। इसके बाद उसे अपने वर के रूप में पाने की प्रार्थना करती है

इस मंदिर में जो भी भक्त लोग नारियल रखकर जो मनोकामना मांगते है वो पूरी हो जाती है इसलिए ग्रामीण क्षेत्र में बसा होने के बाद भी यहां भक्तों का तांता लगा रहता है इस कारण देश के तो भक्त आते ही है विदेश से भी भक्तों का यहां आना लगा रहता है।

श्रीजी यहां अपने नाम के अनुरूप मंदिर में आने वाले हर भक्‍त की मुराद पूरी करते हैं।

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