नरवर की लोढी माता लोगो को संतान का वरदान देकर कर देती है भक्तो की मनोकामनाएं पूरी
राजा नल की ऐतिहासिक नगरी नरवर मे बना हुआ है लोढी माता का मंदिर

जनदर्शन न्यूज । नरवर । शिवपुरी से 50 किमी दूर राजा नल की ऐतिहासिक नगरी नरवर मे लोढी माता का मंदिर बना हुआ है । लोड़ी माता मंदिर पर पूरे वर्ष भर निसंतान लोग माता से संतान की मनोकामनाएं लेकर आते हैं । मंदिर मे विराजी माता लोगो को संतान का वरदान देकर भक्तो की मनोकामनाएं पूरी कर देती है ।
लोककथा के अनुसार नरवर के तत्कालीन राजा से बेडनी समाज की एक नृत्यांगना ने शर्त लगाई कि वह नरवर किले से किले के सामने वाली ऊँची पहाडी तक कच्चे धागे पर नाचती हुई जा सकती है। राजा ने शर्त में अपना संपूर्ण राज पाठ लगा दिया। राजा को छूट दी गयी थी कि वह किसी भी धारदार हथियार से धागे को काट सकता है। नृत्यांगना ने जैसे ही नृत्य करते हुए उस पार जाने की तैयारी की राजा चिन्तित हो उठे। बेडनी अपन गंतव्य तक पहुँचने ही वाली थी। तभी राजा ने धारदार हथियार से धागे को काटना चाहा। वह धागा न काट पाया। उसने सारे धारदार हथियार आजमा लिए। मान्यता है कि उस बेडनी ने अपनी मंत्र शक्ति से सभी हथियारों की धार बाँध दी थी। उन्हें नाकाम कर दिया था। किन्तु एक चर्माकार का औजार (रांपी) जूते जोडने के कुंडे में डले होने से अशुद्ध होने के कारण मंत्रों के प्रभाव से बच गया। उसकी धार न बाँधी जा सकी। राजा ने चर्मकार की उस रांपी से धागा काट दिया। किले की ऊँचाई से नीचे गिरकर बेडनी की मृत्यु हो गयी। जिस जगह गिर कर बेडनी का देहान्त हुआ, संभवतः उसी जगह आज एक मन्दिर बना हुआ है। जिसे लोढी माता का मन्दिर कहा जाता है।
लोढी माता के सन्दर्भ में यह कहावत प्रचलित हुई।
नरवर चढे न बेडनी,
एरच पके न ईंट
गुदनौरा भोजन नहीं,
बूँदी छपे न छींट।
नृत्याँगना के साथ हुए इस छल के कारण आज भी बेडिया समाज के लोग नरवर में नाचने के लिए आते हैं।लोग मातारानी के दर्शन करने यहां आते हैं।परंपरा अनुसार मंदिर में मन्नत लेकर आने वाले दंपत्तियों द्वारा अठवाई का प्रसाद वितरण किया जाता है तथा मंदिर के पीछे गोबर से हाथे लगाए जाते हैं। ऐसा करने से उनकी मनौती पूरी होती है।
नरवर विकासखंड मुख्यालय शिवपुरी से लगभग 50किमी की दूरी पर है. यहां शिवपुरी दतिया ग्वालियर झाँसी से बस द्वारा पहुंच सकते हैं । यहां ऐतिहासिक नरवर का किला भी देखने योग्य है ।