नाग पंचमी पर साल में एक बार खुलता है उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर, नागदेव के आसन पर विराजमान हैं शिव जी और देवी पार्वती ।

जनदर्शन न्यूज ! उज्जैन स्थित बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के तीसरे तल पर नागचंद्रेश्वर महादेव की प्रतिमा स्थापित है। सिर्फ नाग पंचमी पर ही मंदिर की दुर्लभ नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा के दर्शन होते हैं।
महाकाल मंदिर में स्थित नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा 11वीं शताब्दी की मानी जाती है। इस प्रतिमा में फन फैलाए हुए नागदेव के आसन पर शिव जी और देवी पार्वती विराजमान हैं। आमतौर पर भगवान विष्णु नागशय्या पर विराजित दिखाई देते हैं, लेकिन नागचंद्रेश्वर प्रतिमा में शिव जी नागशय्या पर बैठे हुए हैं। ये एक मात्र ऐसी प्रतिमा मानी जाती है, जिसमें शिव जी नाग शैय्या पर विराजित हैं। इस मंदिर में शिव जी, मां पार्वती, गणेश जी के साथ ही सप्तमुखी नाग देव की प्रतिमा भी है। साथ में नंदी और सिंह भी विराजित है। शिव जी के गले और भुजाओं में भी नाग लिपटे हुए हैं।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए सर्पराज तक्षक ने घोर तपस्या की थी। सर्पराज की तपस्या से भगवान शंकर खुश हुए और फिर उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को वरदान के रूप में अमरत्व दिया। उसके बाद से ही तक्षक राजा ने प्रभु के सान्निध्य में ही वास करना शुरू कर दिया। लेकिन महाकाल वन में वास करने से पूर्व उनकी यही मंशा थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो इस वजह से सिर्फ नागपंचमी के दिन ही उनके मंदिर को खोला जाता है।
इस प्राचीन मंदिर का निर्माण राजा भोज ने 1050 ईस्वी के आसपास कराया था। इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने साल 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। उसी समय इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार किया गया था।