बहती हवा सा था वो……. प्रोजेक्ट चीता का मुख्य चेहरा रहे नर चीता पवन की पानी मे डूबने से मौत…
अपने घुमक्कड स्वाभाव के लिये चर्चित था पवन नामीबिया से लाया गया था

जनदर्शन न्यूज ।श्योपुर, कूनो नेशनल पार्क में प्रोजेक्ट चीता का मुख्य चेहरा बन चुका नर चीता पवन की पानी मे डूबने से मौत हो गयी. पवन का मंगलवार को नाले में शव मिला इससे प्रोजेक्ट चीता को बड़ा झटका लगा है। नामीबिया से 17 सितंबर 2022 की ओवान के रूप में लाए गए इस नर चीता का कुनो में। साल 11 महीने 10 दिन का सफर रहा है। इस प्रोजेक्ट को आगामी 17 सितंबर को प्रोजेक्ट को पूरे 2 साल होने जा रहे हैं, लेकिन उससे पहले ही 20 में से 8 कारक चीतों की मौत हो चुकी है। विशेष बात यह है कि नामीविया से जब इस नर चीते को लाए तो इसका नाम ओवान था और ये 4 साल का था। लेकिन जब इसका भारतीय नामकरण हुआ तो इसे पवन नाम दिया गया।
अपने घुमक्कड स्वाभाव के लिये चर्चित था पवन
नर चीता पवन कई बार कूनों से बाहर निकला और जिले से बाहर भी पहुंचा। वर्ष 2023 के मार्च अप्रैल माह में तीन बार कूनी की सीमा से बाहर निकाल। जिसमें एक बार जिले के विजयपुर के अगरा क्षेत्र में, दूसरी बार शिवपुरी जिले के बेराड़ क्षेत्र में और तीसरी बार शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क को क्रॉस कर यूपी बॉर्डर तक पहुंच गया। वहीं अप्रैल 2024 में मुरैना जिले की सीमा में पहुंच गया और इसी रास्ते से मई 2024 में ये चंबल नदी पार कर राजस्थान के करौली जिले की सीमा में पहुंच गया, जहां से वापस रेस्क्यू कर लाया गया।
कूनो में भारतीय चीतों की वंशवृद्धि में नर चीता पवन का मुख्य योगदान है। 3 जनवरी 2024 को आशा ने 3 शावकों को 23 जनवरी 2024 को ज्वाला ने 4 शावकों को जन्म दिया। इनका जैविक पिता भी पवन ही है। ऐसे में पवन के 7 शावक जीवित हैं
कूनो के प्रोजेक्ट चीता को आगामी 17 सितंबर को 2 साल पूरे होने जा रहे हैं। 17 सितंबर 2022 से शुरू हुए इस प्रोजेक्ट में1 साल 11महीने की अवधि में 17 शावकों ने जन्म लिया, जिसमें से 5 की मौत हो चुकी है। ऐसे में अब तक 8 वयस्क और 5 शावक चीतों की मौत हो गई है, जबकि 12 वयस्क और 12 शावक चीता कूनों में शेष है।